कबीर दास जी के दोहे
आछे दिन पाछे गए, हरि से किया न हेत
अब पछताए होत क्या, चिड़िया चुग गयी खेत।।
अर्थ :
सुख के समय में भगवान का स्मरण नहीं किया तो अब पछताने का क्या फायदा। जब खेत पर ध्यान देना चाहिए था तब तो दिया नहीं, अब अगर चिड़िया सारे बीज खा चुकी हैं, तो पछताने से क्या होगा।